Gaurav Jain vs. Union of India and Others ( गौरव जैन बनाम भारत संघ (1997) 8 S.C.C 114 A.I.R 1997 S.C. 3021)

          
           गौरव जैन बनाम भारत संघ (1997) 8 S.C.C 114 A.I.R 1997 S.C. 3021 के वाद में उच्चत्तम न्यायालय ने निर्णय दिया कि वेश्यावृत्ति करने वाली महिलाओं के बच्चों को भी अपने ऊपर बिना किसी कलंक के सामाजिक जीवन की मुख्य धारा के एक भाग के रूप में अवसरों की समानता , गरिमा , देखभाल , संरक्षण तथा पुनर्वास का अधिकार है। न्यायालय ने ऐसे बच्चों तथा बाल वेश्याओं के पुनर्वास हेतु एक समिति गठित करने तथा इसकी रजिस्ट्री के कार्यान्वयन तथा आवधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।