सन् 1996 में गोआ के फ्रेडी पीट्स मामले (फ्रेडी पीट्स बनाम भारत,1996,1992 का सत्र मामला संख्या 24) में सबसे पहले बच्चों के साथ दुर्व्यव्हार और अश्लील फिल्माकंन के प्रति जनता में जागरूकता उत्पन्न की गई। फ्रेडी पीट्स जो कि अज्ञात मूल का एक विदेशी था ; को भारत में बच्चों के साथ यौन दुर्व्यव्हार का दोषी पाया गया, वह एक अनाथालय की आड़ में बच्चों के 2305 अश्लील फ़ोटो,135 नेगेटिव स्ट्रिप्स के साथ-साथ दवाएँ और मनः प्रभावी पदार्थ बरामद किए गए। भारत में संगठित बाल यौन अपराध चलाने की यह पहली दोष सिद्धि थी।