निर्धनता , लिंग , जाति , वर्ग तथा अन्य प्रयोजनों से रेखांकित एक दूसरे को प्रभावित करने वाले जटिल सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक , ढांचे , प्रक्रियाएँ तथा संबंध आदि अवैध व्यापार का आधार तैयार करते है। इसके दो पक्ष है: मांग पक्ष और आपूर्ति पक्ष । मांग पक्ष में वैश्वीकरण से प्रेरित होकर आर्थिक क्षेत्रों के संबंधित हिस्सों में हुए ढांचागत समझोते तथा परिवर्तनों ने मजदूरो के अंतर्राष्ट्रीय विभाजन और मजदुर मांग बाजार में बदलाव ला दिया है। वह क्षेत्रो तथा देशों के बीच तेजी से बढ़ रही ढांचागत असमानताओं के संदर्भ में हुआ है। पुरुषो और लड़कों की तुलना में अवैध क्रय-विक्रय की गई महिलाओं तथा लड़कियों की बढ़ती हुई मांग, मुख्यतः इस मांग-आधारित यथार्थ की प्रतिक्रया है। आपूर्ति पक्ष में है लिंगभेद विकास प्रक्रिया जो महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा और रोजगार से वंचित करती है और लिंग असमानताओं में तथा महिलाओं की निर्धनता में बढ़ोतरी करती हैं।
मानव दुर्व्यापार के कारण निम्नलिखित है, जो की इस प्रकार है;-
(क) मांग कारक
i.यौन शोषण की मांग,
ii'सस्ती मजदूरी की मांग,
iii.अंग व्यापार।
(ख) आपूर्ति कारक
i.सेक्स और लिंग,
ii.जाति/नृजातीयता,
iii.निर्धनता,
iv.संगठित अपराध,
v.अन्य कारक।
(1.) वैश्वीकरण और उदारीकरण का प्रभाव,
(2.) मानव सृजित त्रासदी, विवाद तथा प्राकृतिक आपदाएँ,
(3.) युद्ध/सशस्त्र विद्रोह/राजनीतिक गतिरोध,
(4.) जलवायु परिवर्तन,
(5.) विस्थापन,
(6.) प्रवासन,
(7.) नई तकनीकें,
(8.) सामाजिक दृष्टिकोण,
(9.) भेदभावपूर्ण सांस्कृतिक मूल्य तथा प्रथाएँ,
(10.) बच्चों की संवेदनशीलता,
(11.) शासन।
उपर्युक्त कारक मानव दुर्व्यापार के कारण है, इसमें से अधिकांश कारक पूर्व में मानव दुर्व्यापार के प्रकार (types of human trafficking) के ही अंतर्गत समझाए जा चुके है । पर अन्य कारक के अंतर्गत आने वे कारण आपदाओ व युद्ध आ जाते है, जिसमें मानव दुर्व्यापार की स्थिति बनती है। जो की विचारणीय है।अन्य कारक के साथ ये ग्यारह कारण आते है। जो की मानव दुर्व्यापार के कारण है।